The khan desinge Diaries

भारत-पाकिस्तान के बंटवारे विभाजन पर अनेक कहानियां, उपन्यास, समाजशास्त्रीय-राजनीतिक विश्लेषण आदि लिखे गए, लेकिन सआदत हसन मंटो की कहानी – 'टोबा टेक सिंह' इस विभाजन के पीछे सक्रिय राजनीति और सांप्रदायिकता के उन्माद की अविस्मरणीय, सार्वभौमिक, कालजयी क्लासिक बन गई.

फाटक पार करते ही जिस ओर सबसे पहले हमारा ध्यान गया, वे थे पेड़ों पर लटकते हुए अलूचों से मिलते-जुलते किसी फल के गुच्छे। मकान के भीतर घुसने के बदले हम उस ओर दौड़े। कई पेड़ थे जिन पर वे लटक रहे थे। परंतु उछल-उछल कर कूदने पर भी किसी के हाथ में एक भी दाना रामकुमार

Flag any individual problems you may face and Softonic will address Individuals problems right away.

Varun: mummy aaj principal tumhe aisa maja dene wala hu ke tum bahut Hello jald mujhse shaadi karne ke liye pagal ho jaogi….

Enter the username or e-mail you made use of in your profile. A password reset url is going to be despatched to you by e-mail.

Iss baat se key kuch jyada Hello pagal ho gaya aur maine mummy ki aankhon me dekhte hue dheere se unke honthon ko kiss karna shuru kiya…. Thodi der baad maine mummy ke pairon pe jo unki chut ka kamras laga hua tha maine use bhi chus chus ke pi liya.

Mere ghar par koi nahi tha, to saamne wali Nisha aunty ne mujhe unke ghar par sone ke liye kaha. Padhiye kaise hum dono mein sex hua.

लेकिन साथ ही, राजेश को अपने पिता की नाई की दुकान भी विरासत में मिली थी, और उसने जल्द ही गाँव में सबसे अच्छे नाई के रूप में ख्याति प्राप्त कर ली थी। लोग मीलों दूर से राजेश से अपने बाल कटवाने आते थे, जिनके पास अपनी तेज धार वाली कैंची से जटिल डिजाइन और पैटर्न बनाने की प्रतिभा थी। 

रूस के साथ क़ैदियों की अदला-बदली का वो सीक्रेट ऑपरेशन जिसमें आते रहे read more उतार-चढ़ाव

Mere mama ki beti ko light-weight jaane ki wajah se bahut garmi lag rahi thi. Fir kaise wo aadhi nangi hui, aur maine uska maza liya, wo padhiye.

मरने के पहले पागल बिशन सिंह की गाली, भारत और पाकिस्तान के लहूलुहान बंटवारे पर एक ऐसी टिप्पणी बन जाती है, जो अब विश्व कथा साहित्य में एक गहरी, मार्मिक, अविस्मरणीय मनुष्यता की चीख़ के रूप में हमेशा के लिए उपस्थित है :

इसे अभी कोई बड़ा पैराडाइम शिफ़्ट तो नहीं कह सकते, लेकिन किसी नए कथा-प्रस्थान की आहट ज़रूर सुनी जा सकती है.

उन्होंने उन्हें कड़ी मेहनत, लचीलापन और निस्वार्थता का महत्व सिखाया था। उसने उन्हें दिखाया था कि विपरीत परिस्थितियों में भी ताकत और आशा पाना संभव है। और इसलिए, जब उन्होंने बुढ़िया को अंतिम अलविदा कहा, तो ग्रामीणों ने एक गंभीर प्रतिज्ञा की। 

साइन इन कर अपने फेवरेट लेखक को फॉलो करें ,रचना की समीक्षा करें और अपनी लाइब्रेरी बनायें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *